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Azamgarh News: आजमगढ़ के मनरेगा श्रमिकों को तत्काल उनकी बकाया मजदूरी दे सरकार ; राजीव यादव

Azamgarh News: 6 नवम्बर 2024 आज़मगढ़। जन आंदोलन का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम), सोशलिस्ट किसान सभा, पूर्वांचल किसान यूनियन ने आज़मगढ़ जनपद में मनरेगा योजना के प्रति जारी सरकार की लापरवाही पर विरोध जताया है।

एनएपीएम के राजशेखर, किसान नेता राजीव यादव और पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव ने जारी बयान में कहा कि सरकार दीपोत्सव का ढिंढोरा पीट रही है पर मजदूर को उसकी मजदूरी नहीं दे रही है। दशहरा, दीपावली बीत गया आजमगढ़ के मनरेगा श्रमिकों की नब्बे लाख बकाया मजदूरी नहीं दी गई। मजदूर के घर दिया जले यह सरकार की प्राथमिकता में नहीं है इसीलिए डीसी मनरेगा कह रहे हैं कि इसके लिए किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। जबकि मनरेगा योजना में लंबित देनदारी रोज़गार गारंटी अधिनियम का उल्लंघन है।

Azamgarh News: दीपावली का त्यौहार बीत गया मनरेगा श्रमिकों की नब्बे लाख रुपए बकाया मजदूरी नहीं मिली

Azamgarh News: गौरतलब है कि वर्तमान आंकड़ों के हिसाब से जनपद के जॉबकार्ड धारक श्रमिकों की मज़दूरी और निर्माण सामग्री आपूर्ति मद में 27 करोड़, 43 लाख, सात हज़ार रूपये की देनदारी हो गई है। इसमें श्रमिकों के 90 लाख रूपये मज़दूरी शामिल है और शेष 26 करोड़, 53 लाख, सात हज़ार रूपये निर्माण सामग्री आपूर्ति का भुगतान शेष है।

इसका बुरा असर मनरेगा में काम कर रहे लाखों परिवारों की आजीविका पर पड़ रहा है। मज़दूरी मिलने में देरी और निर्माण सामग्री आपूर्ति मद की देनदारी निपटाने में हो रही देरी मनरेगा कार्यों के सुचारु रूप से चलने में बाधा आ सकती है। ऐसी परिस्थितयों में श्रमिक मनरेगा से दूर होते जाएंगे और काम की तलाश में शहरों की ओर पलायन को मजबूर होंगे।

Azamgarh News: किसान नेताओं ने कहा कि लंबित देनदारी की स्थिति मनरेगा योजना में लगातार कम हो रहे बजटीय आवंटन से जन्म ले रही है। पिछले दस सालों में केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा के लिए हुए बजट आवंटन में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट हुई है। इसका असर उत्तर प्रदेश में बजट आवंटन पर भी पड़ रहा है।

वित्तीय वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश के ऊपर कुल 955 करोड़ की लंबित देनदारियां हैं। इसमें लंबित मज़दूरी 50 करोड़ है और निर्माण सामग्री आपूर्ति 822.5 करोड़ है। वित्तीय वर्ष खत्म होने में 5 महीने बाकी हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के कुल बजट का 90 प्रतिशत उपयोग हो चूका है। मनरेगा जो लाखों परिवारों के आजीविका का एक मज़बूत साधन है उसपर कम बजट, लंबित मज़दूरी और काम न मिलने के कारण एक बड़ा हमला किया जा रहा है।

Azamgarh News: किसान संगठनों ने मनरेगा योजना को मज़बूत करने की मांग की है। इस दिशा में सबसे ज़रूरी मनरेगा मज़दूरी को बढ़ाया जाए जो फिलहाल 230 रुपए प्रतिदिन है। इसे महंगाई दर के अनुसार बढ़ाकर 800 रुपये प्रतिदिन करनी चाहिए। इसके साथ ही बजट आवंटन में तत्काल प्रभाव से बढ़ोतरी किया जाना चाहिए। मनरेगा में जारी भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए शिकायत निवारण प्रणाली और सामाजिक अंकेक्षण को अमल में लाया जाए।

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